Mirza Asadullah Khan (Ghalib)-27-12-1797(Agra) To 15-02-1869 (Delhi)
Famous Couplets Page no.31
301.
पी शौक़ से वाइज़, अरे क्या बात है डर की ,
दोज़ख तेरे क़ब्ज़े में है, एयर जन्नत तेरे घर की। (शकील)
302.
अब तो विदा होते हैं याराना-ए-वज़्म से ,
"सीमाब" फिर मिलेंगे अगर ज़िन्दगी रही। (सीमाब)
303.
वो भी शायद रो पड़ें वीरान कागज़ देख कर ,
मैंने उनको आखिरी खत में लिखा कुछ भी नहीं। (निज़ाम)
304.
मेरी नज़र से न हो दूर एक पल के लिए ,
तेरा वुजूद है लाज़िम मेरी ग़ज़ल के लिए। (क़तील)
305.
रात ज़रा भीगी तो दिल में कैसे कैसे शक जागे ,
तेरा काजल फैल गया या चाँद का अंचल मैला है। (शाहिद)
306.
उनके बिगाड़ में है महब्बत का शाइबा,
ऐ "अर्श" तू समझ मेरी बिगड़ी संवर गई। (अर्श)
307.
मौत भी चाहें तो मिलती नहीं उनको "वाहिद",
ज़िन्दगी के जो शिकंजों में जकड जाते हैं। (वाहिद)
308.
फ़रहाद अब कहाँ है कि पत्थर को काट कर ,
आई हो मौज़, शीर का दरिया बहा दिया। (ज़िया)
309.
कितना शुआ-ए-महर ने हैराँ किया हमें ,
तकते हैं कबसे रौज़न-ए-दीवार की तरफ। (मोमिन)
310.
शेख़-ए-हरम की चश्म-ए-मुरव्वत तो देखिये ,
मैं दैर को चला तो चले मुस्कुरा के साथ। (क़ासमी)
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