Mirza Asadullah Khan (Ghalib)-27-12-1797(Agra) To 15-02-1869 (Delhi)
Famous Couplets Page no.30
291.
तरक़्क़ी पर है रोज़अफ्ज़ुन खलिश दर्द-ए-मोहब्बत की ,
जहाँ महसूस होती थी वहां मालूम होती है। (सीमाब)
292.
रूह झुलसे तो हवाएं महकें ,
जिस्म पिघले तो रौग़न बन जाये। (अदम)
293
एहसान नाख़ुदा का उठाये मेरी बला ,
कश्ती ख़ुदा पे छोड़ दूँ लंगर को तोड़ दूँ। (ज़ौक़)
294.
अब कहें किससे कि उनसे बात करना है गुनाह,
जब कलाम आया जुबां पर लाकलाम आ ही गया। (नातिक़)
295.
लिबास भीग न जाए बदन न गीला हो ,
ये शर्त है और समंदर के पार जाना है। (हाशमी)
296.
वो जानके भी मेरा हाल जानते नहीं ,
है वहम की दवा कोई , लुक़्मान से कहो। (सहगल)
297.
लुत्फ़-ए-मय तुझसे क्या कहूं ज़ाहिद ,
हाय कमबख़्त, तूने पी ही नहीं। (दाग़)
298.
यारब ज़माना मुझको मिटाता है किसलिए ,
लौह-ए-जहाँ पे हर्फ़-ए-मुकर्रर नहीं हूँ मैं। (ग़ालिब)
299.
शाख से टूटे हुए पत्तों की वक़अत क्या "ज़फर",
फूल तोड़े जा रहें है अब मसलने के लिए। (ज़फर")
300.
मैंने जाना आ गई फ़स्ल-ए-बहार ,
जब तुम्हारा गुंचा-ए-लब वा हुआ। (गनी)