Ghazals Of Ghalib

The Almighty Of Rekhta

Mirza Asadullah Khan (Ghalib)-27-12-1797(Agra) To 15-02-1869 (Delhi)

OTHER LINKS

Indian Classical Music
 

Famous Couplets-15




(141)
गुज़र गए इसी गर्दिश में अपने लैल-ओ-नहार ,
शब्-ए-फ़िराक़ गई,रोज़-ए-इन्तिज़ार आया !(दाग़)

(142)
अहल-ए-दिल को क्योँ न कर ले दाम-ए-गेसू का असीर,
लोबत-ए-उर्दू,की है खुद सैद-ए-पैकान-ए-ग़ज़ल !(जिया)

(143)
किसके फुसून-ए-हुस्न का दुनिया तिलिस्म है,
हैं लौह-ए-आसमाँ पे ये नक़्श-ओ-निगार क्या !(चकबिस्त)

(144)
"अस्लम" बड़े वक़ार से डिग्री वसूल की,
और उसके बाद शहर में खोंचा लगा लिया !(अस्लम)

(145)
बात पर वां ज़बान कटती है,
वो कहें और सुना करे कोई !(ग़ालिब)

(146)
नगमा-ए-इश्क़ सुनाता हूँ मैं इस शान के साथ,
रक़्स करता है ज़माना मेरे विजदान के साथ !(शकील)

(147)
जी खुश हुआ है मस्जिद-ए-वीराँ देखकर,
मेरी तरह खुदा का भी खाना ख़राब है !(अदम)

(148)
तर दामनी पे शैख़ हमारी न जाइओ ,
दामन निचोड़ दें तो फ़रिश्ते वुज़ू करें !(दर्द)

(149)
ग़म ही ऐसा था कि दिल शक हो गया,वर्ना "फ़राज़",
कैसे कैसे हादिसे हंस हंस के सह जाना पड़े !(फ़राज़)

(150)
जिनको म-ए-वफ़ा का है नश्शा चढ़ा हुआ ,
उन शाईकीन-ए-दार के तेवर न पूछिए !(मंशा)

CLICK FOR NEXT PAGE