Mirza Asadullah Khan (Ghalib)-27-12-1797(Agra) To 15-02-1869 (Delhi)
Famous Couplets-2
(11)
जब भी निकला हूँ मैं औक़ात की सरहद के परे,
मेरे हमराह चले आये ज़माने कितने !(अलीम सबा नवीदी)
(12)
मिले जो दस्त-ए-तमन्ना से क्यों न पी जाऊं,
वो ज़हर भी तो मेरे हक़ में कंद है यारों !(जिया फतेहाबादी)
(13)
किस तरह फर्याद करते हैं बतादो काइदा,
ऐ असीरान-ए-क़फ़स मैं नौ-गिरफ्तारों में हूँ!(अमीर मीनाई)
(14)
मैं सच हूँ,शहर के फुटपाथ पर मिलूंगा कहीं,
मुझे खरीद पुरानी किताब वालों से !(ज़फर गोरखपुरी)
(15)
इंसान को इंसान से कीना नहीं अच्छा ,
जिस सीने में कीना हो वो सीना नहीं अच्छा!(नासिख़)
(16)
आँख के कुंज में इक दश्त-ए-तमन्ना लेकर,
अजनबी देस को निकले,दिल-ए-तनहा लेकर!(सलीम बेताब)
(17)
घर जला कर ही रौशनी कर लें,
हर गली कूचे में अँधेरा है!(जिया फतेहाबादी)
(18)
हम मुवहहिद हैं हमारा केश है तर्क़-ए-रुसूम,
मिल्लतें जब मीट गई अजजा-ए-ईमां हो गई!(ग़ालिब)
(19)
मैखानानशीं क़दम न रख्खे,
बज़्म-ए-जम-ओ-बारगाह-ए-कै में!(शेफ़्ता)
(20)
खुद किस्सा-ए-ग़म अपना कोताह किया मैंने,
दुनिया ने बहुत चाहा अफसाना बना देना!(सीमाब)
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