Mirza Asadullah Khan (Ghalib)-27-12-1797(Agra) To 15-02-1869 (Delhi)
Famous Couplets-19
(181)
छूटूं कहीं ईज़ा से लगा एक ही जल्लाद ,
ता हश्र मेरे सर पे ये एहसान रहेगा !(मीर)
(182)
जब तक ग़म-ए-उल्फ़तका उन्सुरन मिला होगा,
इंसान के पहलू में दिल बन न सका होगा !(सीमाब)
(183)
ये भी एजाज़ कोई कम तो नहीं है यारों,
लोग हर शख्स को गाली भी कहाँ देते हैं !(मुनव्वर)
(184)
अपने ऐबों को छुपाने के लिए दुनिया में,
मैंने हर शख्स पे इल्ज़ाम लगाना चाहा !(नूरी)
(185)
अब उससे कोई क्या ओहदाबरा ,
जो दिल में बैठ कर दिल मांगता हो !(सीमाब)
(186)
अब तो हर औज का तारा डूबा ,
औज का नाम ही तो पस्ती है !(मुश्ताक़)
(187)
दिल पे लाखों लफ़्ज़ कंदा कर गई उसकी नज़र,
और कहने को अभी उसने कहा कुछ भी नहीं !(ज़हूर)
(188)
दिल गया रौनक़-ए-हयात गई,
ग़म गया सारी काइनात गई !(जिगर)
(189)
उम्र भर साथ रहा फिर भी न पहचान सका,
किसने लिखा है मुझे किसकी किताबत हूँ मैं !(ज़हीर)
(190)
साज़ ये कीनासाज़ क्या जाने,
नाज़ वाले नियाज़ क्या जाने !(दाग़)
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