Mirza Asadullah Khan (Ghalib)-27-12-1797(Agra) To 15-02-1869 (Delhi)
Famous Couplets-18
(171)
ज़िन्दगी भी पशेमाँ है यहां लाके मुझे,
ढूंढती है कोई हीला मेरे मर जाने का !(फ़ानी)
(172)
हमको पता नहीं था हमें अब पता चला,
इस मुल्क में हमारी हुकूमत नहीं रही !(दुष्यंत)
(173)
जिस तरफ़ गुज़रता हूँ एक हू का आलम है,
यूँ न थी कभी मेरे दिल की रहगुज़र तनहा !(साजिद)
(174)
ये जाम,ये सागर,ये सहबा,सब हेच है उस मय के आगे,
जो दिल से उंडेली जाती है नज़रों से पिलाई जाती है !(उमर)
(175)
रौंदेगा मुझे कब तलक एहसास का हैजान,
थम क्यों नहीं जाता ये उमड़ता हुआ तूफ़ान !(खलिश)
(176)
मौत के भी उड़े हैं अक्सर होश,
ज़िन्दगी के शराबखाने में !(फ़िराक़)
(177)
शैख़ जी गिर गए थे हौज़ में मैखाने के,
डूब कर चश्मा-ए-कौसर के किनारे निकले !(रियाज़)
(178)
आप एक जाम पे अंगुश्त बंददान क्यों हैं,
क्या खबर मेरे मुक़द्दर में है सागर कितने !(पूरन)
(179)
ये आइन-ए-ज़बाँबंदी है कैसी तेरी महफ़िल,
यहां तो बात करने को तरसती है ज़बाँ मेरी (इक़बाल)
(180)
मेरे लिए किसी क़ातिल का इंतिज़ाम न कर,
करेंगी क़त्ल खुद अपनी ज़रूरतें मुझको !(ज़फर)
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