Ghazals Of Ghalib

The Almighty Of Rekhta

Mirza Asadullah Khan (Ghalib)-27-12-1797(Agra) To 15-02-1869 (Delhi)

OTHER LINKS

Indian Classical Music
 

Famous Couplets-10




(91)
ने क़ासिद-ए-ख्याल ने पैके नज़र गया ,
अब तक मैं अपनी आप ही लेकर खबर गया !(नसीम)

(92)
अब राज़-ए-मोहब्बत को पोशीदा ही रहने दे ,
मरने का नया कोई अंदाज़ न दे मुझको !(शज़र)

(93)
हमें तो आज की शब् पौ फटे तक जागना होगा ,
यही किस्मत हमारी है,सितारों तुम तो सो जाओ !(शिफ़ाई)

(94)
ज़बाँ खामोश,नज़र बेकरार,चेहरा फ़क़ ,
तुझे भी क्या तेरी क़ाफ़िर अदा ने लूट लिया ?(रंजन)

(95)
कई फाके बिताकर मर गया जो उसके बारे में ,
वो सब कहते हैं अब,ऐसा नहीं,ऐसा हुआ होगा !(कुमार)



(96)
एक मुद्दत हुई "नज़र" से मिले ,
अब तो फ़ाक़ों से मर गया होगा !(नज़र)

(97)
राह में कांटे बिछे होंगे क़ि फूल ,
जिसको थी ये फ़िक़्र बैठा ही रहा !(मुहसिन)

(98)
दर्द बढ़कर फुगाँ न हो जाये ,
ये ज़मीं आसमाँ न हो जाये !(ज़िगर)

(99)
"नाज़िश" का ज़िक़्र गो किसी फेहरिस्त में नहीं ,
फिर भी कब उसके फन की तवानाई कम हुई !(नाज़िश)

(100)
ऐ हुस्न-ए-यार तेरे तअल्लुक़ के फैज़ से ,
हर शेर जो भी मैंने लिखा,यIद् आ गया !(ताज)

CLICK FOR NEXT PAGE